तो तुम जीते हो जिन्दगी !

हर मुकाम पर तुम खुश हो ,
मंजिल पाने की ख्वाहिश हो,
ना फिकर तुम्हे बिछङे पल की,
तो तुम जीते हो जिन्दगी ।

लहरो से टकराने का हौसला हो,
ना तुझे रास्तो से भटकाने वाली कोई बाधा हो,
तुम अपने रास्तो पर यूँ चले हो,
तो तुम जीते हो जिन्दगी ।

तुम गिरकर भी सम्भल जाते हो,
अपनो को भूलते नही हो,
कभी खुशी कभी गम मे हो,
तो तुम जीते हो जिन्दगी ।

जो किसी के लिए रूकता नही,वो वक्त,
उस वक्त के पीछे भागते नही हो,
बजाय इस के वक्त को अपना बनाते हो,
तो तुम जीते हो जिन्दगी ।

पेङो के पत्ते तो हवा से भी गिरते है,
समन्दर मे लहरे यूँ भी चलती है,
इस से कुछ अलग करो,
तो तुम जीते हो जिन्दगी ।

हर रोज कोई आकर चला जाता,
तुम्हे लोग याद रखे और तुम यादो के साथ जीते नही,
हर पल यादगार बनाते हो,
तो तुम जीते हो जिन्दगी ।

सुबह की धूप तो हर रोज निकलती है,
यदि तुम हर रात को चाँदनी बना सको,
तो तुम जीते हो जिन्दगी ।

आगे बढकर तु पीछे मुडा ना कर,
क्या है पीछे उसकी चिन्ता ना कर,
होना था उधर जो,हो जाएगा
तु कभी यूँ छोडने का सोचा ना कर,
ऐसा है, तो तुम जीते हो जिन्दगी ।

Comments

Popular posts from this blog

Ummeed hai!

Dear SMJV,

Ek din milna mujhe !!