वो पूछ बैठी

बहुत दिन हो गए लिखे हुए ,
वो भी पूछ बैठी
मुझसे नाराज हो क्या?

यु बिन मिले कभी वक्त गुजरा नही था,
और अब तो एक अरसा गुजर गया ।
शायद! इसलिए वो पूछ बैठी
अब याद आती नही क्या?

लफ्जो को कागज पे उकेरा नही,
कहानी अल्फाजो मे बयां की नही ।
और वो खफा होकर पूछ बैठी
अब तुम्हारा हिस्सा नही क्या?

कोरे कागज को भीगोया नही,
आंसू स्याही संग गिरे नही ।
और वो पूछ बैठी
अब लिखना छोड दिया क्या ।

पल पल जिसके साथ साझा होता था
छन्द लम्हो मे वो बाते थम सी गयी ।
और वो खामोशी बोल बैठी,
मुझसे दूर रह लोगे क्या?

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