आजाद हिन्दोस्तान
सन् सत्तावन से चालू हुई ये आज़ादी की आशा ,
आज तक नहीं मिली सच्चे शब्दों में वो अभिलाषा।
हुआ बीच में सैतालिस में पृष्ठो पर आज़ादी का आगम ,
तभी आ गया कुछ और मुश्किलों का पैगाम ।।
आज भी लहराता है अपना तिरंगा एक अलग ही शान से ,
जिसकी बदौलत जीता, हर एक नागरिक मान सम्मान से।
समझ जाता हर कोई सबकी आन-मान का ,
तो नहीं मरता इंसान अलग अलग अपमान से ।।
सीमा पार खड़े वो फौलाद ,दुश्मनो को करारा जवाब है,
जिनके शुक्रगुज़ार हम ,देश के अंदर इतने आबाद है।
जातिवाद जैसे झगडो से दुर हटो,
फिर जानोगे अपना भारत क्यों लाजवाब है।।
अब सिर्फ ना उन वीरो के लिए शीश झुकाना है ,
खुद को भी एक वीर बनाना है।
थोड़ा कुछ देश के लिए कर सको ,
तो देश को भी स्वच्छ भारत बनाना है ।।
कर दिया और कर रहे भ्रष्ट नेता अपने काम ,
नारी भी हो रही है हर दिन बदनाम।
बन जाओ एक सपूत अपनी भारत माँ के ,
लगा कर, इन सब पर हमेशा के लिए लगाम ।।
कर दो अपने बुलंद इरादों की ललकार ,
मिटा दो आपस में हो रहे सब कुछ करार।
कर दो जितना कर सको योगदान ,
और बना दो देश को पहले वाला प्यारा आज़ाद हिन्दोस्तान ।।
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