एक आवाज़ जरूर आएगी !! क्यूँ रुका है तू ?


वक़्त यूँ ही गुजर जाएगा ,
हवा का रुख बदल जाएगा ,
चाहता है अगर तू वक़्त से आगे जाना ;
ठान ले एक बार , तू जरूर जाएगा !
ठहर गया अगर तू , एक आवाज़ जरूर आएगी !!
क्यूँ रुका है तू  ?

समन्दर की लहरें उठती रहेगी ,
एक आँधी तेरे में भी उड़ती ही होगी ,
चाहता है तू तेरी ख्वाहिशें पूरी करना ;
आगे बढ़ ले ज़रा , तम्मनायें  भी पूरी होगी !
रुक गए अगर पाँव तेरे , एक आवाज़ जरूर आएगी !!
क्यूँ रुका है तू  ?

अफ़साने तुने बहुत सुने होंगे ,
लोगो की कहानियां भी पढ़ी होगी ,
चाहता है लिखना खुद का एक फ़साना ,
कलम तू पकड़ ले , कहानी जरूर पूरी होगी !
स्याही हौसलों की खत्म हो गई , एक आवाज़ जरूर आएगी !!
क्यूँ रुका है तू  ?

मुकाम तुने बहुत चाहे होंगे ,
मन्जिलें तुने कई पाई होगी ,
चाहता है तू सच्ची में फलक तक जाना ,
कदम तो बढ़ा , फ़तेह जरूर हासिल होगी !
मंजिले कभी दूर हुई , एक आवाज़ जरूर आएगी !!
क्यूँ रुका है तू  ?


रातों में वो सन्नाटा तुने सुना होगा ,
घड़ी की वो टिक टिक भी सुनाई दी होगी ,
चाहता है तू हक़ीक़त में कुछ पाना ,
दिल की तू सुन ले , कायनात तेरे कदमों में होगी !
जुनून फिर भी कम हुआ , एक आवाज़ जरूर आयगी !!
क्यूँ रुका है तू  ?


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